लेखनी प्रतियोगिता -23-Sep-2023 कोने की दुकान
बस अड्डे के पास वाला बाजार गांव से बहुत दूर था, इसलिए पूरा गांव उमेश की दुकान से मिलावटी घटिया किस्म (क्वालिटी) का सामान लेने के लिए मजबूर था, उमेश की दुकान से मिलावटी घटिया सामान खरीद कर खाने के नुकसान के साथ-साथ उमेश की दुकान से गांव वालों को कई सुविधाएं और फायदे भी थे, जैसे कि अगर कोई मेहमान देर रात को किसी के घर आता था, तो उमेश की बंद दुकान को रात को खुलवा कर वह गांव का व्यक्ति सामान ले लेता था और अगर सामान खरीदने के पैसे भी नहीं होते थे, तो भी उमेश दुकानदार उधार सामान दे देता था।
और सबसे महत्वपूर्ण बात उमेश की दुकान गांव के कोने पर होने की वजह से उमेश दुकानदार गांव के अंदर हर आने जाने वाले व्यक्ति पर पुरी नजर रखता था। गांव की छोटी से छोटी प्रिया अप्रिय घटना की पूरी जानकारी उमेश दुकानदार के पास मिल जाती थी और अचानक किसी को पैसे की जरूरत पड़ जाती थी, तो पूरे पैसे नहीं तो थोड़े बहुत पैसे उधार देकर उमेश दुकानदार उसकी मदद कर देता था।
इसलिए पूरे दिन में गांव के लोग कम से कम एक बार तो यह जरूर बोलते थे, गांव के कोने की दुकान पर चले जाओ या गांव के कोने की दुकान पर जा रहा हूं।
गांव के दो लोगों को उमेश की गांव के कोने की दुकान से सबसे ज्यादा फायदा हुआ था पहला था, धनीराम क्योंकि उसकी बेटी की शादी से पहले उसकी बेटी की होने वाली नंनद अपने पति के साथ उसकी बेटी को देखने आई थी, तो जब धनीराम के होने वाले दामाद का जीजा अपनी पत्नी यानी की धनीराम की बेटी की होने वाली ननंद से गांव के कोने की दुकान के पास खड़ा होकर यह कह रहा था कि "मुझे भी अपने ससुर से दो लाख रूपये दहेज के मांगने पड़ेंगे और अगर तुम्हारे मां-बाप ने दहेज देने से इन्कार किया तो तुम्हारे भाई ने जैसे अपनी पहली पत्नी को जलकर हत्या की है, वैसे ही तुम्हें जलाकर मारने के बाद मैं दहेज के लिए दूसरी शादी कर लूंगा।"यह बात सुनने के बाद अपने पति से धनीराम की बेटी की होने वाली नंनद झगड़ा करने लगती है। और दोनों पति-पत्नी आपस में झगड़ा करते हुए अपने गांव की तरफ चले जाते हैं।
दुकान उमेश की सारी बातों में सच्चाई होती थी, इसलिए धनीराम विदुर दहेज के लालची लड़के से अपनी बेटी की शादी का रिश्ता तोड़ देता है।
दूसरा फायदा मुकेश को हुआ था, जब उसकी पत्नी को बेवकूफ बनाकर गरम कंबल गांव-गांव में घूम कर बेचने वाली महिला उसके नवजात शिशु को चोरी करके ले जा रही थी, तो उस महिला पर शक होने के बाद उमेश ने उस महिला को पकड़ लिया था।
उमेश के दो लड़के थे, बड़ा लड़का शराबी जुआरी था, छोटा लड़का पत्नी के बहकावे में आकर बुढ़ापे में अपने मां बाप को अकेला छोड़कर अपनी ससुराल में रहने चला गया था। उमेश दुकानदार की पत्नी को अपने पति उमेश और दुनियादारी से कोई लेना देना नहीं था, वह अपने घर से ज्यादा तीर्थ स्थानों पर रहती थी।
एक दिन उमेश की दुकान का मिलावटी सरसों का तेल खाकर आधे से ज्यादा गांव के लोग बीमार हो जाते हैं, तो तब गांव के लोग उमेश दुकानदार को पंचायत में बुलाकर फैसला सुनाते हैं कि "तेरी गांव के कोने की दुकान को सील करवाने के बाद तुझे जेल में बंद करवाएंगे।"
"मुझे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने से पहले मेरी एक बात ध्यान से सुन ले मैंने आज तक किसी को उधार सामान देने से मना नहीं किया और जब किसी ने मेरे सामान का लाभ छोड़ो पूरी कीमत भी नहीं थी, तभी मैंने उसकी मजबूरी समझ कर उसे चुपचाप सामान दिया है, बच्चे तो पूरे दिन टॉफी बिस्कुट मेरी दुकान से सुबह से शाम तक मुफ्त में खाते रहते हैं और कभी-कभी तो दुकान के सामान के उधार पैसे मांगने पर लोगों ने मेरे से झगड़ा किया मेरे साथ मारपीट भी की लेकिन तब भी मैंने अपने लाभ की चिंता किए बिना गांव वालों को खाने पीने का सामान देने से माना नहीं किया क्योंकि गांव में एक भी परिवार भूखा ना सोए और मैं रात दिन गांव की चौकीदारी करता हूं, आपस में किसी का झगड़ा करवाने के लिए चुगली नहीं करता हूं, बल्कि लोगों कि बातें सुनकर उनको समझा कर उनके दिल से एक दूसरे के लिए नफरत खत्म करता हूं और जैसे फौजी रात दिन देश की सरहद की रखवाली करते हैं, वैसे ही मैं रात दिन दुकान खोलने के लिए तैयार रहता हूं, ताकि कोई भूखा ना सोए भूखा उठे जरूर और जहां तक घटिया किस्म के खाने का सवाल है, तो जब आप मुझे अच्छे बढ़िया सामान के पूरे पैसे दोगे तो मैं बढ़िया किस्म का खाने पीने का सामान लाऊंगा और मेरे साथ थोक विक्रेताओं सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह खाने पीने का सामान की पूरी जांच पड़ताल करें और मेरी ही किस्मत खराब है क्योंकि मैंने अपने बीवी बच्चों गांव वालों का पूरा ख्याल रखा पहले बीवी बच्चों ने मेरा दिल दुखाया आज पूरा गांव मिलकर मुझे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने की सोच रहा है।" उमेश पूरे गांव से कहता है
उमेश की बात सुनकर पंच परमेश्वर पूरे गांव से विचार विमर्श करके उमेश दुकानदार को अपना फैसला सुनाते हैं "एक दुकानदार का फर्ज होता है, अपने लाभ के साथ-साथ ग्राहकों कि भी सेहत का ध्यान रखें और तुम इस कार्य में असफल रहे, लेकिन सब की भलाई की सोच रखते हो और तुम्हारी गांव के कोने की दुकान से पूरे गांव को एक नहीं कई फायदे हैं, इसलिए पूरा गांव तुम्हारी दुकान में सुधार करने के लिए जी जान से दिन रात पूरी कोशिश करेगा, ताकि सबको सेहतमंद खाने पीने का सामान मिल सके।"
पूरे गांव से मान सम्मान मिलने के बाद दुकानदार उमेश की बीवी बच्चों को भी समझ आ जाता है कि हम गलत है मेरा पति सही है, हमारे पिता जी सही है।
kashish
26-Sep-2023 10:19 PM
Amazing story
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Gunjan Kamal
26-Sep-2023 08:22 PM
बहुत खूब
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Varsha_Upadhyay
24-Sep-2023 05:03 PM
Nice 👌
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